गुरुवार, 1 मार्च 2018

औरत [ ये गीत मनुष्य के जीवन में स्त्री के महत्व का वर्णन है }


औरत तेरी कहानी को
मैं प्यार से लिखूंगा
जुल्मो सितम हो तब भी
मैं प्यार ही करूंगा

सदियों से चल रही है
तेरे प्यार की ये गाथा
अल्लाह रहीम इश्वर
सबकी तू जन्मदाता

तुने ही सबको जन्मा
हमको भी तुने जन्मा
तेरे प्यार में पले सब
हमको भी तुने पाला

तेरा कर्ज है सभी पर
तेरे प्यार के सब भूखे
कोई माँ बहिन सा maane
कोई प्यार में तेरे झूले

तू प्यार का है सागर
गमो ki tu है दुनिया
जो भी आए तुझसे मिलने
तेरे प्यार में समाये

तेरे गम की इस घरी me
एक दीप जल रहा हु
तेरे प्यार के ही saaye में
ये गीत लिख रहा हु

कैलाश खुलबे “वशिष्ठ”



यह गीत उन सभी माताओं को समर्पित है जो औरत के अस्तित्वा व् मूल्यों को बनाए रखकर समाज व् देश व् इस duniyaa में honhaar व् संस्कारवान नागरिक को जन्म देती है. तथा इस dharti को अति सुंदर बनाने में अपना योगदान देती है.

स्त्री या माता का महत्व प्रत्येक परिवार, समाज, देश व् दुनिया में क्या है यह गीत उसका वर्णन करने का प्रयास मात्र है. हमे स्त्री के अस्तित्वा को समझते हुए उसे फ़िर से एक विसेस स्थान देना होगा साथ साथ स्त्री को भी अपने अस्तित्व को समझना होगा की स्त्री पुरुषः दोनों एक दुसरे की बिना अधूरे है. v ek dusre के purak है।

एक पुत्र द्वारा माता के देहावसान hone par यह गीत उसे भावपूर्ण श्ह्र्ध्हांजलि है.

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