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Poems & Songs by Kailash Khulbe "KK"

सोचो अगर हम आज भी होते गुलाम अंग्रेजो के, हर दिल दफ़न होते यहाँ बीके होते शरीर से, भुला दो उस जज्बात को भुला दो उस सौगात को, दरार जिस दिवार में हटा दो उस दिवार को ...., कैलाश खुलबे "वशिष्ठ"

मंगलवार, 5 जून 2018

Poems & Songs by Kailash Khulbe "KK": बाप बिहीन होते समाज में परिवार संस्कृति को जिन्दा ...

Poems & Songs by Kailash Khulbe "KK": बाप बिहीन होते समाज में परिवार संस्कृति को जिन्दा ...: बाप बिहीन होते समाज में परिवार संस्कृति को जिन्दा रखने की मुहीम https://t.co/EUg99gxPjM पापा और बच्चो का रिस्ता ऐसा होता है पापा र...
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