बढे चलो बढे चलो बढे चलो......................
हम batan की शान पर dathe हुए
मेरे batan के नौजवान बढे चलो............
सर पर तुम्हारे इस batan की लाज है
rakhsak तुम्हारी हिंद की आवाज है
डरना नहीं है तुमको इस जमाने मई
रौद दो तुम दुस्मानो के जाल कों.......
dathe रहो भले ही तुम दो चार हो
दुसमन भले ही गिनती मे हजार हो
हाथ मे तुम लो कमान हिंद कों पुकार के
धैर्य से बढे चलो कटे जो सर हजार के
सर पर जो ताज हिंद के हिमालय है
चरणों मे हिंद के महान सागर है
नदिया बहे यहाँ बरी उमंगसे
गंगा वाहे जहा वाही ये हिंद है......
सौ बार जन्मा ले चुके अल्ला रहीम
दिया बलिदान हम batan की आन पर
maanaa की उनके नाम कृष्ण रामthe
पैदा हुए the हिंद मे वो हिंद के jawaan the
किया था नास कृष्ण ने अन्याय का
किया था नास पाप का जो राम ने
वाही करो बढे चलो तुम शान से
करो आजाद मुल्क कों हैमान से
बढे चलो बढे चलो बढे चलो।
हम batan की शान पर dathe हुए
मेरे batan के नौजवान बढे चलो........
कैलाश खुलबे "vashishth"
पाठको से प्रार्थना है की क्या यह कविता किसी पाठ्यक्रम मे शामिल हो सकती है यदि हां तो कृपया उचित स्तर पर सहयोग व् सुझाव देने की कृपा करे.... मै आपका हमेशा आभारी रहूँगा... कैलाश खुलबे "वशिष्ठ"
हम batan की शान पर dathe हुए
मेरे batan के नौजवान बढे चलो............
सर पर तुम्हारे इस batan की लाज है
rakhsak तुम्हारी हिंद की आवाज है
डरना नहीं है तुमको इस जमाने मई
रौद दो तुम दुस्मानो के जाल कों.......
dathe रहो भले ही तुम दो चार हो
दुसमन भले ही गिनती मे हजार हो
हाथ मे तुम लो कमान हिंद कों पुकार के
धैर्य से बढे चलो कटे जो सर हजार के
सर पर जो ताज हिंद के हिमालय है
चरणों मे हिंद के महान सागर है
नदिया बहे यहाँ बरी उमंगसे
गंगा वाहे जहा वाही ये हिंद है......
सौ बार जन्मा ले चुके अल्ला रहीम
दिया बलिदान हम batan की आन पर
maanaa की उनके नाम कृष्ण रामthe
पैदा हुए the हिंद मे वो हिंद के jawaan the
किया था नास कृष्ण ने अन्याय का
किया था नास पाप का जो राम ने
वाही करो बढे चलो तुम शान से
करो आजाद मुल्क कों हैमान से
बढे चलो बढे चलो बढे चलो।
हम batan की शान पर dathe हुए
मेरे batan के नौजवान बढे चलो........
कैलाश खुलबे "vashishth"
पाठको से प्रार्थना है की क्या यह कविता किसी पाठ्यक्रम मे शामिल हो सकती है यदि हां तो कृपया उचित स्तर पर सहयोग व् सुझाव देने की कृपा करे.... मै आपका हमेशा आभारी रहूँगा... कैलाश खुलबे "वशिष्ठ"