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Poems & Songs by Kailash Khulbe "KK"

सोचो अगर हम आज भी होते गुलाम अंग्रेजो के, हर दिल दफ़न होते यहाँ बीके होते शरीर से, भुला दो उस जज्बात को भुला दो उस सौगात को, दरार जिस दिवार में हटा दो उस दिवार को ...., कैलाश खुलबे "वशिष्ठ"

सोमवार, 15 अगस्त 2011

Poems & Songs by Kailash Khulbe "KK": सोचो अगर हम आज भी होते गुलाम अंग्रेजो के, हर दिल दफ़न होते यहाँ बीके होते शरीर से [१५ अगस्त को सभी देशावासियोंं को बधाई व् देश भक्तो को श्रधांजलि ]

Poems & Songs by Kailash Khulbe "KK": सोचो अगर हम आज भी होते गुलाम अंग्रेजो के, हर दिल दफ़न होते यहाँ बीके होते शरीर से [१५ अगस्त को सभी देशावासियोंं को बधाई व् देश भक्तो को श्रधांजलि ]
Posted by Unknown at 6:13 am कोई टिप्पणी नहीं:
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