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Poems & Songs by Kailash Khulbe "KK"

सोचो अगर हम आज भी होते गुलाम अंग्रेजो के, हर दिल दफ़न होते यहाँ बीके होते शरीर से, भुला दो उस जज्बात को भुला दो उस सौगात को, दरार जिस दिवार में हटा दो उस दिवार को ...., कैलाश खुलबे "वशिष्ठ"

गुरुवार, 4 सितंबर 2008

Poems & Songs by Kailash Khulbe "KK": खुशहाली हर घर में हो हर घर में तेरा प्यार हो जनम ले हम फिर इस माती में चाहे जनम हजार [देव भूमि में bitaaye palo का ahsaas ]

Poems & Songs by Kailash Khulbe "KK": खुशहाली हर घर में हो हर घर में तेरा प्यार हो जनम ले हम फिर इस माती में चाहे जनम हजार [देव भूमि में bitaaye palo का ahsaas ]
Posted by Unknown at 12:17 am कोई टिप्पणी नहीं:
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