सोमवार, 14 मई 2018

मदर डे फादर डे मनाने का ढोंग करने के बजाय इसके मायने समझो

पश्चिमी देशो की तर्ज पर भारत में मदर डे फादर डे मनाने से लगता है की भारतीय माँ बाप का अस्तित्व भी खतरे में है ? ?????????
माता पिता गुरु देवता की संस्कृति वाला देश आजादी के ७० साल बाद भी अपनी शिक्षा प्रणाली अपना संविधान नहीं बना पाया क्यों?
लार्ड मेकाले ने वास्तव में ऐसे अंग्रेज पैदा कर दिए है की माँ बाप को भगवान माननेवाले देश के बच्चे मदर डे फादर डे का दिखावा करने को मजबूर है??
हम उस देश की संतान है जहा माता पिता और गुरु को देवता माना जाता है उनकी पूजा करो बजाय फेसबुक में ढकोसला करने के
एक दिन भ्रष्टाचार दिवस मनाओ ताकि हमारे लोकतंत्र के चारो भगवान जाग जाये और इस भारत भूमि को भ्रस्टाचार मुक्त कर दे
न्यायालय डे मनाओ ताकि कोई जज की आत्मा जगे और वो गंभीरता से कुछ करे
न्याय की उचित प्रक्रिया और समय की बाध्यता न होने के कारन सामाजिक न्याय देने से कोसो दूर है आज भी हमारे न्यायालय
कल तक मुजरिम से फीस लेकर उसे बचाने वाले अगर जज की कुर्सी पर बैठ जाये तो वो क्या करेंगे ? डरते क्यों हो इस प्रश्न को पूछने से?
हर कोई कानून बनाने की बात करता है मगर कोई भी कानून के रखवालो की जबाबदेही तय करने की बात नहीं करता है क्यों ?

अंग्रेजो ने विश्व के देशो पर राज करने के लिए आयरिश पीनल कोड बनाया जिसमे निर्दोस देश भक्त को भी २०-२५ सालो तक जेल में बंद करके निर्दोस बताकर बरी कर दिया जाता था ताकि इतने सालो तक वह कोई भी देश भक्ति की गतिविधि में भाग न ले सके क्यों की जूठा केश फाइल करते समय एविडेंस नहीं मांगे जाते थे एविडेंस २५ साल बाद मांगे जाते थे  देश की आजादी के नाम पर सौदा करने वालो ने इसे इंडियन पीनल कोड बना दिया और वही आज लागु है जहा आपके नाम कोई भी जूठा केस करके आपको २० साल तक न्यायालय के चक्कर कटवा कर लूट सकता है बर्बाद कर सकता है क्यों की जज साहब २० साल बाद उससे इसका प्रमाण मांगेगे और कहेंगे की ये तो निर्दोष है और जज साहब जूठा केस करने वाले के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करते है   अब आप ही बताये की क्या हमारे वैदिक काल में भारत में ऐसा होता था ? नहीं कतई नहीं  पच परमेस्वर की उपस्थिति में हाथो हाथ सबूत  मांगे जाते थे दोनों पक्षों की सुनकर हाथो हाथ फैसला वो भी विना किसी फीस के  आखिर कब तक इस खोकली न्याय व्यवस्था पर हमे निर्भर होना पड़ेगा ? हम सभी अपने बच्चो को कैसा भविस्य दे रहे है बजाय मदर डे फादर डे मनाने के आप सभी से बिनती है की आप सभी एक आवाज में इस व्यवस्था में सुधार के साथ साथ इस न्याय प्रणाली को बदलने के लिए भी आवाज उठाओ और एक माँ और एक बाप का फर्ज निभाते हुए अपने बच्चो के लिए एक अच्छे भारतीय लोकतंत्र की स्थापना करो ये अंग्रेजी लोकतंत्र और लार्ड मैकाले की सोच को उखाड़ फैको ताकि हमारे बच्चे हम सभी की संस्कृति के वाहक बने और हम फिर से एक सुसंस्कृत सभ्य भारतीय समाज रूपी विरासत अपने बच्चो को दे सके . 

  कैलाश खुल्बे 

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