तुम्हे नमन है कि जब भगवान ने मुझे दर्द दिया तुम्हारी प्रेरणा ने मुझे जीवन जीने कि शक्ति दी [संस्मरण]
ऐसा भी होता है मगर जीवन नहीं रुकता पढ़िए सीखिए हिम्मत मत हारिये आप की जिंदगी के मायने भगवान तय करता है
मै अपनी उसी पूरानी परंपरा और संस्कृति का कायल हु
बचपन की बात है एक छोटी सी उम्र में माँ बाप का देहांत हो गया था एक ऐसी उम्र जहा इस बात का दुःख तो बहुत होता है मगर इंसान को सायद माँ बाप के प्यार की अहमियत और जरुरत का अहसास नहीं होता है केवल ये सोचता है की अब आगे की जिंदगी कैसे चलेगी या होता भी है तो वो अपनी जिंदगी में इतना उलझा होता है की फिर भूल कर सामान्य हो जाता है
कैसे
गांव के एक बुजुर्ग {नाम लिखना उचित नहीं होगा } अपना दुःख व्यक्त करने आये बहुत ही ईमानदार नेक और सीधे व्यक्ति थे वो . किसी के दुःख सुख अच्छे बुरे में समय निकाल कर निकल जाते थे अपना मरहम लेकर और शायद दुःख की घडी में किसी भी इंसान को एक ऐसे ही इंसान की जरुरत होती है ऐसा मेरा मानना है
हर बड़े आदमी के जीवन में संघर्ष भी बड़ा होता है उसका परिहास करने के बजाय उससे कुछ सीखना न भूले क्यों की प्रेरणा हर मंजिल को आसान बना देती है
उन्हें चाय के लिए पूछा तो उन्होंने कहा नहीं में नहीं ले सकता हु में परहेज करता हु क्यों की वो जागर में शायद नाचते भी थे और उस ज़माने में लोग बहुत सीधे और सरल स्वभाव के होते थे गांव के लोग आपस में कितने ही विपरीत विचारो के क्यों न हो मगर दुःख सुख शादी ब्याह जीवन मरण में एक परिवार की तरह आकर खड़े हो जाते थे बस मै अपनी उसी पुराणी परंपरा और संस्कृति का कायल हु
वो थोड़ी देर तक चुप रहे इधर उधर निहारते ऊपर निचे देखते मुँह पर हाथ रखकर कुछ सोचते जैसे उनको अपना बचपन याद आ गया हो माथे पर चिंता की लकीरे साफ़ देखि जा सकती थी बहुत दुखी थे वो उस समय . फिर कुछ देर बाद अपने आप को सहज करके बोले
भाग्य का लिखा कोई नहीं टाल सकता है रोना तो पड़ता ही है और जिंदगी पर रोना ही है कभी माँ बाप की याद मै तो कभी रोजाना की परेशानियों के लिए मनुस्य का जीवन है ही ऐसा सब माया मोह मै फसे हुए है ऊपर वाला अपने ऊपर कुछ भी नहीं लेता सब कोई न कोई बहाना लेकर मौत के मुँह मै चले जाते है हम सब जैसा मांगकर लाये है वैसा ही भोगना है
बहुत सीधे स्वभाव के सरल इंसान जिन्हे मै आज तक नहीं भुला पाया और हर पल उनकी एक एक बात मुझे जीवन मै संघर्ष के लिए ताकत देती रही और मै संघर्ष करता रहा
उन्होंने बताया की कैसे उनके जीवन मै दुःख की घडिया आयी ५ या ७ साल की छोटी उम्र मै पिताजी का देहांत हो गया था एक बड़ी दीदी 9 साल के करीब रही होगी गांव वालो ने ही सब कुछ किया जैसे ही शमसान से पिताजी का दाह संस्कार करके लौटे थे की माँ भी पिताजी की याद मै चल बसी बड़ी दीदी से लिपट कर ५ भाई रोते बिलखते एक दूसरे की और निहारते और फिर रोने लगते दीदी रोने के बजाय छोटे भाइयो को ढाढस देती शायद भगवान ने उसे शक्ति दे दी थी गांव वालो ने किसी अपने की तरह साथ दिया और एक दो दिन तक खाना भी खिला जाते थे धीरे धीरे रिस्दार भी जाने लगे जब सब चले गए तो खाना बनाने और रोटी जुटाने की समस्या तब आज की तरह राशन नहीं मिलता होगा सोचोउस क्या बीती होगी
उस महान आत्मा उस महापुरुष के अनुसार - हमारी एक छोटी सी घास कि झोपड़ी थी और आजकल कि तरह बिजली नहीं होती थी दिया जलने को मिटटी का तेल भी नहीं होता था लकड़ी जला कर उजाला किया खाना बनाया खाया और सो गए फिर बाहर और अंदर सब जगह अँधेरा होता था [शेर हाथी और जंगली जानवरो का डर तब भी था मगर इंसानी आतंक का खौफ नहीं होता था ]
दिन मै सब इधर उधर खेल कूद करते थे और दीदी खेत मै से घास काटकर गाय भैस का पेट भर्ती और फसल कि देखभाल करती थी घर के अंदर अँधेरा होता था दीदी को खाना बनाना भी नहीं आता था तब , खाना बनाने के लिए लकड़ी का इंतजाम करके दीदी खाना बनाने घर के अंदर जाती तो हम सब दीदी कि कमर पीछे से पकड़ कर एक दूसरे कि कमर पकड़ कर अंदर जाते थे क्यों कि अंदर के अँधेरे मै डर लगता था फिर दीदी हमे चूल्हे के पास कतार मै बैठा करे खाना बनातीं और हम सब को खिलाती और सभी को खिलाकर खुद खाती थी फिर हम सब दीदी से लिपट कर सो जाते थे मगर हमे बहुत डर लगता था कि कोई हमारे घर मै न घुस जाये इसी तरह जिंदगी आगे बढ़ती रही दीदी ने किसी तरह मेहनत करके पास पड़ोस के खेतो मै मेहनत मजदूरी करके हमारा पेट पाला फिर मै बड़ा हो गया और दीदी के साथ मेहनत मजदूरी करने लगा अपने तीन भाइयो को पढ़ाया लिखाया कभी कभी मांगकर भी गुजरा किया मगर भाइयो को पढ़ने मै परेशानी नहीं आने दी
फिर सभी के कहने पर मेरी शादी कर दी और बहु लाने के बाद दीदी कि भी शादी कर दी पत्नी ने भी मेरी जिम्मेदारी को समझा और मेरा पूरा साथ निभाया वो समय अच्छा था ऐसा कहना नहीं भूलते थे वो
किसी तरह दिन कटते गए भाई भी एक एक करके अच्छी नौकरी कि तलाश करने लगे दो भाई फ़ौज मै लग गए थे और एक भाई को स्थानीय स्तर पर सरकारी नौकरी मिल गयी एक छोटा भाई कॉलेज कि पढाई करने लगा लाड प्यार और सबसे छोटा होने से वह थोड़ा गलत सांगत मै भी घुल मिल गया था अब मेरे बच्चे भी हो गए थे उनकी पढाई का भर भी मुझ पर होने लगा तो मैंने छोटे भाइयो को कुछ मदद को कहा कुछ हुई भी मगर जैसी उम्मीद थी वैसा कुछ नहीं हुआ जैसा मैंने अपना जीवन दाँव पर लगाकर अपनी पढाई छोड़ कर भाइयो का भविस्य संभाला उस तरह से भाइयो ने कभी नहीं सोचा
बाद मै छोटा भाई भी एम् ए करने के बाद एक नौकरी मै लग गया तथा वह कभी कभी बच्चो कि फ़ीस और मेरी मदद करने लगा अचानक एक दिन छोटे भाई ने आत्महत्या कर ली जब मेने ये सुना मै कुछ नहीं समझ पाया माँ बाप के मरने पर मुझे इतना दुःख नहीं हुआ जितना मै आज टूट चूका था मैंने क्या क्या सपने नहीं देखे उस भाई के लिए किन्तु होनी बलवान होती है गुरु , मै बहुत रोया मगर भाई वापस नहीं आया सारा जीवन जिसके लिए लगा दिया आखिर मै वही पीसी बुकाई जस गीच कर गो पता नहीं कौन दुश्मन बदला लेने के लिए हमारे घर मै जनम लेकर आया था
पंडित जी क्या कहु आज मै फिर से बेसहारा हो गया था बच्चे भी बड़े हो रहे है इसलिए आप भी हिम्मत रखो सब समय निकल जाता है शाम के बाद सुबह होती है
ये महान आत्मा आज यहाँ नहीं है मगर उसकी यादे गांव के सभी लोगो के दिलो मै है वो किसी कि शादी हो तो खाना बनाने वाले थे किसी बच्चे का जनम हो तो खाना बनाने वाले थे किसी के मरने मै कुल्हाड़ी लेकर लकड़ी का इंतजाम चीता लगाने वाले थे और किसी के दुःख मै सरीख होकर अपने दुःख से दूसरे कि दुःख को कम करने वाले थे क्यों कि वास्तव मै उन्होंने हम सबसे ज्यादा दुःख देखे थे
आज वो इस दुनिया मै नहीं है सुना है सब भाई अलग अलग रहते है उनके दो बेटे है दोनों एक साथ अपना मकान बनाकर अपने अपने काम मै लगे है मगर पिताजी के वो संस्कार उनमे साफ साफ झलकते है मै उन्हें भी दिल से प्रणाम करता हु कि उन्होंने अपने पिताजी के मेहनत और अच्छे को मरने नहीं दिया उन्हें जिन्दा रखा है
सभी से निवेदन कि दुःख कि किसी भी घडी मै संयम से कम ले और हर रात के बाद सबेरा होता है भगवान पर भरोसा रखे संघर्ष करने वालो कि कभी हार नहीं होती है
ऐसा भी होता है मगर जीवन नहीं रुकता पढ़िए सीखिए हिम्मत मत हारिये आप की जिंदगी के मायने भगवान तय करता है
मै अपनी उसी पूरानी परंपरा और संस्कृति का कायल हु
बचपन की बात है एक छोटी सी उम्र में माँ बाप का देहांत हो गया था एक ऐसी उम्र जहा इस बात का दुःख तो बहुत होता है मगर इंसान को सायद माँ बाप के प्यार की अहमियत और जरुरत का अहसास नहीं होता है केवल ये सोचता है की अब आगे की जिंदगी कैसे चलेगी या होता भी है तो वो अपनी जिंदगी में इतना उलझा होता है की फिर भूल कर सामान्य हो जाता है
कैसे
गांव के एक बुजुर्ग {नाम लिखना उचित नहीं होगा } अपना दुःख व्यक्त करने आये बहुत ही ईमानदार नेक और सीधे व्यक्ति थे वो . किसी के दुःख सुख अच्छे बुरे में समय निकाल कर निकल जाते थे अपना मरहम लेकर और शायद दुःख की घडी में किसी भी इंसान को एक ऐसे ही इंसान की जरुरत होती है ऐसा मेरा मानना है
हर बड़े आदमी के जीवन में संघर्ष भी बड़ा होता है उसका परिहास करने के बजाय उससे कुछ सीखना न भूले क्यों की प्रेरणा हर मंजिल को आसान बना देती है
उन्हें चाय के लिए पूछा तो उन्होंने कहा नहीं में नहीं ले सकता हु में परहेज करता हु क्यों की वो जागर में शायद नाचते भी थे और उस ज़माने में लोग बहुत सीधे और सरल स्वभाव के होते थे गांव के लोग आपस में कितने ही विपरीत विचारो के क्यों न हो मगर दुःख सुख शादी ब्याह जीवन मरण में एक परिवार की तरह आकर खड़े हो जाते थे बस मै अपनी उसी पुराणी परंपरा और संस्कृति का कायल हु
वो थोड़ी देर तक चुप रहे इधर उधर निहारते ऊपर निचे देखते मुँह पर हाथ रखकर कुछ सोचते जैसे उनको अपना बचपन याद आ गया हो माथे पर चिंता की लकीरे साफ़ देखि जा सकती थी बहुत दुखी थे वो उस समय . फिर कुछ देर बाद अपने आप को सहज करके बोले
भाग्य का लिखा कोई नहीं टाल सकता है रोना तो पड़ता ही है और जिंदगी पर रोना ही है कभी माँ बाप की याद मै तो कभी रोजाना की परेशानियों के लिए मनुस्य का जीवन है ही ऐसा सब माया मोह मै फसे हुए है ऊपर वाला अपने ऊपर कुछ भी नहीं लेता सब कोई न कोई बहाना लेकर मौत के मुँह मै चले जाते है हम सब जैसा मांगकर लाये है वैसा ही भोगना है
बहुत सीधे स्वभाव के सरल इंसान जिन्हे मै आज तक नहीं भुला पाया और हर पल उनकी एक एक बात मुझे जीवन मै संघर्ष के लिए ताकत देती रही और मै संघर्ष करता रहा
उन्होंने बताया की कैसे उनके जीवन मै दुःख की घडिया आयी ५ या ७ साल की छोटी उम्र मै पिताजी का देहांत हो गया था एक बड़ी दीदी 9 साल के करीब रही होगी गांव वालो ने ही सब कुछ किया जैसे ही शमसान से पिताजी का दाह संस्कार करके लौटे थे की माँ भी पिताजी की याद मै चल बसी बड़ी दीदी से लिपट कर ५ भाई रोते बिलखते एक दूसरे की और निहारते और फिर रोने लगते दीदी रोने के बजाय छोटे भाइयो को ढाढस देती शायद भगवान ने उसे शक्ति दे दी थी गांव वालो ने किसी अपने की तरह साथ दिया और एक दो दिन तक खाना भी खिला जाते थे धीरे धीरे रिस्दार भी जाने लगे जब सब चले गए तो खाना बनाने और रोटी जुटाने की समस्या तब आज की तरह राशन नहीं मिलता होगा सोचोउस क्या बीती होगी
उस महान आत्मा उस महापुरुष के अनुसार - हमारी एक छोटी सी घास कि झोपड़ी थी और आजकल कि तरह बिजली नहीं होती थी दिया जलने को मिटटी का तेल भी नहीं होता था लकड़ी जला कर उजाला किया खाना बनाया खाया और सो गए फिर बाहर और अंदर सब जगह अँधेरा होता था [शेर हाथी और जंगली जानवरो का डर तब भी था मगर इंसानी आतंक का खौफ नहीं होता था ]
दिन मै सब इधर उधर खेल कूद करते थे और दीदी खेत मै से घास काटकर गाय भैस का पेट भर्ती और फसल कि देखभाल करती थी घर के अंदर अँधेरा होता था दीदी को खाना बनाना भी नहीं आता था तब , खाना बनाने के लिए लकड़ी का इंतजाम करके दीदी खाना बनाने घर के अंदर जाती तो हम सब दीदी कि कमर पीछे से पकड़ कर एक दूसरे कि कमर पकड़ कर अंदर जाते थे क्यों कि अंदर के अँधेरे मै डर लगता था फिर दीदी हमे चूल्हे के पास कतार मै बैठा करे खाना बनातीं और हम सब को खिलाती और सभी को खिलाकर खुद खाती थी फिर हम सब दीदी से लिपट कर सो जाते थे मगर हमे बहुत डर लगता था कि कोई हमारे घर मै न घुस जाये इसी तरह जिंदगी आगे बढ़ती रही दीदी ने किसी तरह मेहनत करके पास पड़ोस के खेतो मै मेहनत मजदूरी करके हमारा पेट पाला फिर मै बड़ा हो गया और दीदी के साथ मेहनत मजदूरी करने लगा अपने तीन भाइयो को पढ़ाया लिखाया कभी कभी मांगकर भी गुजरा किया मगर भाइयो को पढ़ने मै परेशानी नहीं आने दी
फिर सभी के कहने पर मेरी शादी कर दी और बहु लाने के बाद दीदी कि भी शादी कर दी पत्नी ने भी मेरी जिम्मेदारी को समझा और मेरा पूरा साथ निभाया वो समय अच्छा था ऐसा कहना नहीं भूलते थे वो
किसी तरह दिन कटते गए भाई भी एक एक करके अच्छी नौकरी कि तलाश करने लगे दो भाई फ़ौज मै लग गए थे और एक भाई को स्थानीय स्तर पर सरकारी नौकरी मिल गयी एक छोटा भाई कॉलेज कि पढाई करने लगा लाड प्यार और सबसे छोटा होने से वह थोड़ा गलत सांगत मै भी घुल मिल गया था अब मेरे बच्चे भी हो गए थे उनकी पढाई का भर भी मुझ पर होने लगा तो मैंने छोटे भाइयो को कुछ मदद को कहा कुछ हुई भी मगर जैसी उम्मीद थी वैसा कुछ नहीं हुआ जैसा मैंने अपना जीवन दाँव पर लगाकर अपनी पढाई छोड़ कर भाइयो का भविस्य संभाला उस तरह से भाइयो ने कभी नहीं सोचा
बाद मै छोटा भाई भी एम् ए करने के बाद एक नौकरी मै लग गया तथा वह कभी कभी बच्चो कि फ़ीस और मेरी मदद करने लगा अचानक एक दिन छोटे भाई ने आत्महत्या कर ली जब मेने ये सुना मै कुछ नहीं समझ पाया माँ बाप के मरने पर मुझे इतना दुःख नहीं हुआ जितना मै आज टूट चूका था मैंने क्या क्या सपने नहीं देखे उस भाई के लिए किन्तु होनी बलवान होती है गुरु , मै बहुत रोया मगर भाई वापस नहीं आया सारा जीवन जिसके लिए लगा दिया आखिर मै वही पीसी बुकाई जस गीच कर गो पता नहीं कौन दुश्मन बदला लेने के लिए हमारे घर मै जनम लेकर आया था
पंडित जी क्या कहु आज मै फिर से बेसहारा हो गया था बच्चे भी बड़े हो रहे है इसलिए आप भी हिम्मत रखो सब समय निकल जाता है शाम के बाद सुबह होती है
ये महान आत्मा आज यहाँ नहीं है मगर उसकी यादे गांव के सभी लोगो के दिलो मै है वो किसी कि शादी हो तो खाना बनाने वाले थे किसी बच्चे का जनम हो तो खाना बनाने वाले थे किसी के मरने मै कुल्हाड़ी लेकर लकड़ी का इंतजाम चीता लगाने वाले थे और किसी के दुःख मै सरीख होकर अपने दुःख से दूसरे कि दुःख को कम करने वाले थे क्यों कि वास्तव मै उन्होंने हम सबसे ज्यादा दुःख देखे थे
आज वो इस दुनिया मै नहीं है सुना है सब भाई अलग अलग रहते है उनके दो बेटे है दोनों एक साथ अपना मकान बनाकर अपने अपने काम मै लगे है मगर पिताजी के वो संस्कार उनमे साफ साफ झलकते है मै उन्हें भी दिल से प्रणाम करता हु कि उन्होंने अपने पिताजी के मेहनत और अच्छे को मरने नहीं दिया उन्हें जिन्दा रखा है
सभी से निवेदन कि दुःख कि किसी भी घडी मै संयम से कम ले और हर रात के बाद सबेरा होता है भगवान पर भरोसा रखे संघर्ष करने वालो कि कभी हार नहीं होती है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें